गणित का अर्थ एवं परिभाषा

गणित का अर्थ एवं परिभाषा- गणित विषय का प्रारंभ गिनती से ही हुआ है और संख्या पद्धति उसका एक विशेष क्षेत्र है, जिसकी सहायता से गणित के अन्य शाखाओं का विकास किया गया है। प्राचीन भारत में गणित में संख्याएं, गणना, ज्योतिष एवं क्षेत्र गणित सम्मिलित थे।

गणित का अर्थ एवं परिभाषा

गणित का अर्थ एवं परिभाषा

कुछ विद्वानों का मत है कि हिंदू गणित के अंतर्गत परीकर्म, व्यवहार क्षेत्र गणित, राशि, भिन्न संबंधी परिकर्म, वर्ग, घन, चतुर्घात तथा विकल्प यानी क्रमचय और संचय आदि का ज्ञान रखते थे। प्राचीन काल से ही शिक्षा में गणित का सदा उच्च स्थान रहा है। गणित के बारे में तो जैन गणितज्ञ श्री महावीर आचार्य जी ने अपनी सीगणित सार संग्रह’ नामक पुस्तक में अत्यंत प्रशंसा की है। गणित सार संग्रह में वह लखते हैं, “लौकिक, वैदिक तथा सामाजिक जो भी व्यापार हैं उन सब में गणित का प्रयोग है।

कामशास्त्र, अर्थशास्त्र पाकशास्त्र, गंधर्वशास्त्र, नाट्य शास्त्र, आयुर्वेद, भवननिर्माण शास्त्र आदि विषयों में तथा छंद, अलंकार, काव्य, तर्क, व्याकरण, ललित कलाओं आदि समस्त विधाओं में गणित अत्यंत उपयोगी है। सूर्य आदि ग्रहों की गति ज्ञात करने में, दिशा तथा समय ज्ञात करने में, चंद्रमा के परिलेख आदि में गणित का प्रयोग करना पड़ता है। द्वीपों, समुद्रों, पर्वतों की संख्या, लोक अंतर्लक, ज्योतिरलोक, सभा भवनों एवं गुंबदकार मंदिरों के परिमाण तथा अन्य बातें गणित की सहायता से जानी जाती हैं।”

गणित का अर्थ एवं परिभाषा- नेपोलियन जैसे महान शासक एवं राजनीतिज्ञ के कथन अनुसार- “गणित की उन्नति के साथ देश की उन्नति का घनिष्ठ संबंध है।”प्लेटो ने तो अपनी पाठशाला के द्वार पर यहां तक लिख रखा था-“जो व्यक्ति रेखागणित को नहीं समझते वह पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने के धेय से प्रवेश न करें।

गणित का अर्थ एवं परिभाषा

गणित का अर्थ एवं परिभाषा- गणित का कोर्स मतगणना से शुरू हुआ। और संदर्भ एक विशेष घटक है। अन्य लेखांकन क्षेत्रों की सहायता से निर्मित। धर्मशास्त्र में गणित का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। प्राचीन भारतीय गणित में ज्योतिष और भौतिक गणित शामिल थे। कुछ विद्वानों का कहना है कि हिंदू गणित में नारा राशी की विशेषता है और पेरिस कर्म की पसंदीदा व्याख्या है। गणित में जेन के गणितज्ञ श्रीमहाबिल आचार्य ने अपनी पुस्तक गणितीय सांगला में उनकी प्रशंसा की। ..

वेदों में सभी वेदों में गणित का प्रयोग किया गया है। काम शास्त्र आर्थिक पार्क शास्त्रा गंधर्व शास्त्र नताशास्ता एरोबिक वास्तुकला जैसे सभी क्षेत्रों में गणित बहुत महत्वपूर्ण है। पहले महीने में गणित का पाठ हर जगह इस्तेमाल किया जाना चाहिए। गणित की सहायता से आप महाद्वीपों की संख्या पर्वतों के आकार चौराहों और मंदिरों का पता लगा सकते हैं। गणित एक ऐसा विज्ञान है जिसे मानव विज्ञान भी नहीं समझ सकता। गणित निश्चित रूप से हमारे कुछ जीवन में शामिल है।

गणित का अर्थ एवं परिभाषा

गणित विषय का प्रारंभ गिनती से ही हुआ है। और संख्या पद्धति इसका एक विशेष क्षेत्र है। जिसकी सहायता से गणित की अन्य शाखाओं का विकास किया गया है। वेदांग शास्त्रों में गणित को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। प्राचीन भारत मैं गणित में संख्या गणना ज्योतिष एवं क्षेत्र गणित सम्मिलित है। कुछ विद्वानों का मत है कि हिंदू गणित के अंतर्गत परीकर्म, व्यवहार रज्जू, राशि, कलास वर्णन, वर्ग घन तथा विकल्प थे।

गणित का अर्थ एवं परिभाषा- गणित के बारे में तो जैन गणितज्ञ श्री महावीर आचार्य ने अपनी गणित सार संग्रह नामक पुस्तक में अत्यंत प्रशंसा की है वह लिखते हैं। अलौकिक वैदिक तथा सामाजिक जो जो व्यापार हैं उन सब में गणित का प्रयोग है। काम शास्त्र, अर्थशास्त्र, पार्क शास्त्र, गंधर्व शास्त्र, नाट्यशास्त्र, आयुर्वेद भवन निर्माण शास्त्र आदि विषयों में तथा छंद अलंकार का वितर्क व्याकरण ललित कला आदि समस्त विधाओं में गणित अत्यंत उपयोगी है।

गणित का अर्थ एवं परिभाषा- सूर्य आदि ग्रहों की गति ज्ञात करने में दिशाओं तथा समय ज्ञात करने में चंद्रमा के पहले खाद में सर्वत्र गणित का प्रयोग करना पड़ता है। महाद्वीपों समुद्रों पर्वतों की संख्या सभा भवन एवं गुंबदकार मंदिरों के परिमाण तथा अन्य बातें गणित की सहायता से जानी जाती हैं।

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